Saturday, February 7, 2015

विश्व कप की कहानी : 1975 से लेकर 2011 तक


पहला विश्व कप 1975 ...वेस्टइंडीज के आगे सब ढेर 


   हला विश्व कप 1975 में इंग्लैंड में खेला गया था जिसे प्रूडेंशियल कप के नाम से भी जाना जाता है। इसमें टेस्ट खेलने वाले छह देशों इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के अलावा दो एसोसिएट देशों श्रीलंका और ईस्ट अफ्रीका ने भी भाग लिया था। क्लाइव लायड की अगुवाई वाली वेस्टइंडीज की टीम ने लार्ड्स में खेले गये फाइनल में आस्ट्रेलिया को हराकर क्रिकेट का पहला विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था।
         भारत के लिये यह टूर्नामेंट यादगार नहीं रहा था। एस वेंकटराघवन की कप्तानी में भारतीय टीम ने टूर्नामेंट का उदघाटन मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला था लेकिन इसमें वह 202 रन के बड़े अंतर से हार गयी थी। यह वही मैच जिसमें सुनील गावस्कर पारी का आगाज करने के बाद 60 ओवर पूरे होने के बावजूद 36 रन बनाकर नाबाद रहे थे। भारत ने अपने अगले मैच में ईस्ट अफ्रीका को दस विकेट से हराया लेकिन न्यूजीलैंड से वह चार विकेट से हार गया था। 
     विश्वकप का आयोजन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) करती है इसलिए इसे आईसीसी विश्व कप भी कहा जाता है। 


दूसरा विश्व कप 1979 ...वेस्टइंडीज ने खिताब बरकरार रखा 


       इंग्लैंड ने ही 1979 में दूसरे विश्व कप की भी मेजबानी की और इसे भी प्रूंडेशियल कप के ही नाम से जाना जाता था। इसमें भी तब टेस्ट खेलने वाले सभी छह देशों के अलावा दो अन्य टीमों यानि कुल आठ टीमों ने हिस्सा लिया था। इस बार अंतर यह था कि टेस्ट मैच नहीं खेलने वाले देशों के लिये टूर्नामेंट से पहले आईसीसी ट्राफी क्वालीफाईंग टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। यह टूर्नामेंट श्रीलंका ने जीता था। उसके अलावा कनाडा की टीम ने भी क्वालीफाई किया था।
        इसके लिए टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें चोटी पर रहने वाली दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंची। पिछली बार का उपविजेता आस्ट्रेलिया अंतिम चार में भी नहीं पहुंच पाया। वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में जगह बनायी। लायड की वेस्टइंडीज टीम ने फाइनल में इंग्लैंड को 92 रन से हराकर लगातार दूसरी बार विश्व कप जीता।
       भारत के लिये यह टूर्नामेंट बेहद निराशाजनक रहा। वेंकटराघवन फिर टीम के कप्तान थे लेकिन भारत अपने सभी मैच हार गया। भारत ग्रुप बी में वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड से ही नहीं बल्कि तब एसोसिएट देश श्रीलंका से भी हार गया था। 


 तीसरा विश्व कप 1983 .. भारत बना चैंपियन 


     तीसरे विश्वकप को भारतीय टीम के प्रदर्शन के लिहाज से याद रखा जाएगा। इस कप को जीतकर भारतीय टीम ने क्रिकेट खेल की दशा व दिशा बदल दी। इसके बाद भारत व भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट किस तरह से लोकप्रिय हुआ और एक नये धर्म के रूप में उबरा यह इतिहास में दर्ज है। 
     इंग्लैंड ने लगातार तीसरी बार विश्व कप की मेजबानी की और इस बार भी कप का नाम प्रूंडेशियल कप ही था। कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय टीम तब क्रिकेट पंडितों की भविष्यवाणियों को झुठलाकर विश्व चैंपियन बनी थी। श्रीलंका को तब तक टेस्ट दर्जा मिल गया था जबकि जिम्बाब्वे ने आईसीसी ट्राफी जीतकर विश्व कप में खेलने का हक पाया था। 
    विश्व कप में टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया लेकिन पहली बार लीग चरण में टीमों का दो बार आपस में आमना सामना हुआ। भारत ने अपने पहले मैच में ही वेस्टइंडीज को 34 रन से हराकर बाकी टीमों को आगाह कर दिया था कि उसे कम करके आंकना भूल होगी। भारत ने अगले मैच में जिम्बाब्वे को पांच विकेट से हराया लेकिन आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से हारने से उसके लिये जिम्बाब्वे के खिलाफ अगला मैच जीतना जरूरी हो गया था। टनब्रिज में खेले गये इस मैच में भारत ने पांच विकेट 17 रन पर गंवा दिये थे लेकिन कपिल देव ने नाबाद 175 रन की रिकार्ड पारी खेलकर टीम को 31 रन से जीत दिला दी थी। भारत इसके बाद आस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा।
    कपिल के धुरंधरों ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को छह विकेट से पराजित किया जबकि दूसरे सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को हराया। वेस्टइंडीज लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचा था और जब उसने भारतीय टीम को 183 रन पर समेट दिया तो उसकी खिताबी हैट्रिक तय मान ली गयी। भारत ने हालांकि वेस्टइंडीज को 140 रन पर ढेर करके 43 रन से जीत दर्ज की थी। मोहिंदर अमरनाथ सेमीफाइनल के बाद फाइनल में भी मैन आफ द मैच बने थे। 


चौथा विश्व कप 1987 ... आस्ट्रेलिया पहली बार बना चैंपियन 


    भारत ने पाकिस्तान के साथ मिलकर पहली बार विश्व कप की मेजबानी की। यह पहला अवसर था जबकि इंग्लैंड के बाहर किसी अन्य जगह पर इस टूर्नामेंट का आयोजन किया गया। इस विश्व कप कप रिलायंस कंपनी ने प्रायोजित किया था और इसलिए इसका नाम रिलायंस विश्व कप रखा गया था. इस बार ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गयी। इसमें आठ टीमों भारत, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और जिम्बाब्वे ने भाग लिया जिन्हें चार. चार टीमों के दो ग्रुप में बांट दिया गया था।
     प्रत्येक टीम ने अपने ग्रुप की टीमों से दो दो मैच खेले और शीर्ष पर रहने वाली चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंची। पिछले तीन विश्व कप के फाइनल में पहुंची वेस्टइंडीज की टीम इस बार अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पायी और सेमीफाइनल में पहुंचने में भी नाकाम रही। दोनों मेजबान भारत और पाकिस्तान अंतिम चार में पहुंचे लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ पाये। एलन बोर्डर की अगुवाई वाले आस्ट्रेलिया ने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गये फाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड को सात रन से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
   भारत अपनी सरजमीं पर विश्व कप का पहला मैच आस्ट्रेलिया से हार गया लेकिन इसके बाद उसने लीग चरण के बाकी पांचों मैच में जीत दर्ज की। जिम्बाब्वे और न्यूजीलैंड को हराने में उसे दिक्कत नहीं हुई जबकि आस्ट्रेलिया से अगले मैच में उसने बदला चुकता किया। न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे मैच में चेतन शर्मा विश्व कप में हैट्रिक बनाने वाले पहले गेंदबाज बने थे। इसी मैच में सुनील गावस्कर ने अपने एकदिवसीय करियर का एकमात्र शतक भी लगाया था।
   भारत मुंबई में खेले गये सेमीफाइनल में हालांकि इंग्लैंड से 35 रन से हार गया था। लाहौर में खेले गये दूसरे सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 18 रन से हराया था।


पांचवां विश्व कप 1992 ...पाकिस्तान ने दिखाया दम 


     स्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने 1992 में विश्व कप की संयुक्त मेजबानी की। यह पहला विश्व कप था जबकि खिलाड़ी रंगीन पोशाक पहनकर मैदान पर उतरे। विश्व कप में पहली बार नौ टीमों ने भाग लिया और इसलिये इसके प्रारूप में बदलाव करके ग्रुप चरण समाप्त कर दिया गया। यह टूर्नामेंट राउंड रोबिन आधार पर खेला गया जिसमें प्रत्येक टीम ने दूसरी टीम से एक.एक मैच खेला। दक्षिण अफ्रीका पर रंगभेद नीति के कारण लगा प्रतिबंध समाप्त हो गया था और उसे पहली बार विश्व कप में खेलने का मौका मिला जबकि बाकी आठ टीमें वही थी जिन्होंने पिछले टूर्नामेंट में भाग लिया था।
     राउंड रोबिन आधार पर चोटी पर रहने वाली चार टीमें न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचे। पिछले तीन विजेता वेस्टइंडीज, भारत और आस्ट्रेलिया लीग चरण से ही बाहर हो गये। पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया और फिर फाइनल में इंग्लैंड को 22 रन से हराकर पहली बार चैंपियन बना। इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच सेमीफाइनल मैच में बारिश का नियम भी काफी चर्चा में रहा। तब दक्षिण अफ्रीका को 13 गेंद पर 22 रन बनाने थे लेकिन आखिर में उसे एक गेंद पर 21 रन बनाने का लक्ष्य मिला था।
     भारत के लिये यह टूर्नामेंट काफी निराशाजनक रहा और वह आठ में से केवल दो मैच ही जीत पाया, पांच मैच में उसे हार मिली जबकि श्रीलंका के खिलाफ मैच का परिणाम नहीं निकल पाया था।  मोहम्मद अजहरूद्दीन की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 43 रन और जिम्बाब्वे को 55 रन से हराया था। 


छठा विश्व कप 1996 ... श्रीलंका के सिर पर ताज  


     विश्व कप की मेजबानी 1996 में फिर से भारतीय उपमहाद्वीप को सौंपी गयी। इस बार भारत और पाकिस्तान के साथ श्रीलंका भी मेजबान था। वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया ने सुरक्षा कारणों से श्रीलंका में खेलने से इन्कार कर दिया था जिससे उनकी टीमों को अंक गंवाने पड़े थे।
      यह पहला विश्व कप था जिसमें आईसीसी के तीन एसोसिएट देशों ने भाग लिया। जिम्बाब्वे अब आईसीसी का पूर्णकालिक सदस्य बन गया था लेकिन विश्व कप 1996 में संयुक्त अरब अमीरात, केन्या और हालैंड ने भी अपनी टीमें उतारी थी। इस तरह से कुल 12 देशों ने विश्व कप में भाग लिया जिन्हें छह . छह के दो ग्रुप में बांटा गया। प्रत्येक ग्रुप से चोटी पर रहने वाली चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंची जहां नाकआउट चरण शुरू हुआ था। श्रीलंका ने क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड, सेमीफाइनल में भारत और फाइनल में आस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था।
     भारत ने लीग चरण में पांच में से तीन मैच जीते और वह ग्रुप ए में तीसरे नंबर पर रहकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचा था। भारत ने क्वार्टर फाइनल में पाकिस्तान को हराया लेकिन कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ सेमीफाइनल में 252 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए उसने आठ विकेट 120 रन पर गंवा दिये। इससे दर्शक आपा खो बैठे और उन्होंने खेल में व्यवधान डाल दिया। खेल आगे नहीं हो पाया और श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया गया था। 


सातवां विश्व कप 1999 ... आस्ट्रेलिया फिर बना चैंपियन   


     इंग्लैंड ने सोलह साल बाद फिर से 1999 में विश्व कप की मेजबानी की। इस विश्व कप के कुछ मैच स्काटलैंड, आयरलैंड, वेल्स और हालैंड में आयोजित किये गये थे। बांग्लादेश इस विश्व कप से पहले आईसीसी का पूर्णकालिक सदस्य बन गया था और इस तरह से उसे पहली बार क्रिकेट महाकुंभ में खेलने का मौका मिला। एसोसिएट देशों से केन्या और स्काटलैंड की टीमें खेलने के लिये उतरी।
      इस विश्व कप में पहली बार सुपर सिक्स का चरण शुरू किया गया था। टीमों को छह . छह के दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें से प्रत्येक ग्रुप से तीन.तीन टीमें सुपर सिक्स में पहुंची। ग्रुप ए से दक्षिण अफ्रीका, भारत और जिम्बाब्वे जबकि ग्रुप बी से पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सुपरसिक्स में पहुंचे। इस चरण में चोटी पर रहने वाली चार टीमों ने सेमीफाइनल में जगह बनायी। पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा सेमीफाइनल टाई छूटा था लेकिन सुपरसिक्स में बेहतर रन रेट होने के कारण स्टीव वा की अगुवाई वाली आस्ट्रेलियाई टीम फाइनल में पहुंच गयी जहां उसने पाकिस्तान को आठ विकेट से हराकर दूसरी बार विश्व कप जीता।
     भारत के लिये यह विश्व कप मिश्रित सफलता वाला रहा। उसने ग्रुप चरण में पांच में से तीन मैच जीते। वह दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे से हार गया लेकिन केन्या, श्रीलंका और इंग्लैंड को हराने में सफल रहा। इस ग्रुप से दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे की टीम भी सुपरसिक्स में पहुंची थी और इसलिए भारत ने बिना अंक के अगले चरण में प्रवेश किया था। सुपरसिक्स में भारत केवल एक मैच जीत पाया। उसके लिये तसल्ली थी कि वह अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को फिर से हराने में सफल रहा था। 


आठवां विश्व कप 2003... आस्ट्रेलिया ने खिताब बरकरार रखा  


    क्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और केन्या ने 2003 में खेले गये विश्व कप की संयुक्त मेजबानी की थी। इस बार टीमों की संख्या 12 से बढ़ाकर 14 कर दी गयी और इसमें 54 मैच खेले गये। विश्व कप 2003 में आईसीसी के दस पूर्णकालिक सदस्यों के अलावा चार एसोसिएट देशों केन्या, कनाडा, हालैंड और नामीबिया ने शिरकत की थी। इसमें भी पिछले विश्व कप के प्रारूप को ही अपनाया गया। इस बार सात . सात टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें से प्रत्येक ग्रुप से तीन . तीन टीमें सुपर सिक्स में पहुंची।
    इंग्लैंड ने राजनीतिक कारणों से जिम्बाब्वे और न्यूजीलैंड ने केन्या में खेलने से इन्कार कर दिया। इसका फायदा जिम्बाब्वे और केन्या को मिला और वे सुपरसिक्स में पहुंच गयी। केन्या की टीम तो सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच गयी लेकिन वहां भारत ने उसकी राह रोक दी। रिकी पोंटिंग की आस्ट्रेलियाई टीम ने फाइनल में भारत को 125 रन से हराकर तीसरी बार विश्व कप जीता था। 
    भारत ने इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उसने लीग चरण में केवल एक मैच (आस्ट्रेलिया के खिलाफ) गंवाया था और पांच मैच जीतकर ग्रुप ए से दूसरे नंबर की टीम के रूप में सुपर सिक्स में पहुंचा था। सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम ने हर अगले मैच में पहले से बेहतर प्रदर्शन किया। भारत ने सेमीफाइनल में केन्या को 91 रन के विशाल अंतर से पराजित किया जबकि आस्ट्रेलिया ने श्रीलंका को हराया. भारत का दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का सपना आस्ट्रेलिया ने पूरा नहीं होने दिया था। 

नौवां विश्व कप 2007 ... आस्ट्रेलिया ने पूरी की हैट्रिक   

    हले दो विश्व कप के विजेता वेस्टइंडीज को 2007 में पहली बार इस टूर्नामेंट की मेजबानी का मौका मिला। इस विश्व कप में टीमों की संख्या बढ़ाकर 16 कर दी गयी जिसके कारण फिर से प्रारूप में बदलाव किया गया। टेस्ट खेलने वाले दस देशों के अलावा विश्व कप 2007 में आयरलैंड, केन्या, कनाडा, बरमुडा, हालैंड और स्काटलैंड की टीमों ने भाग लिया था। यही वजह थी कि चार . चार टीमों के चार ग्रुप बनाये गये। प्रत्येक ग्रुप से चोटी पर रहने वाली दो टीमें सुपर आठ में पहुंची। सुपर आठ में शीर्ष पर रहने वाली चार टीमें आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल में पहुंचे। आस्ट्रेलिया ने फाइनल में श्रीलंका को 53 रन से हराकर लगातार तीसरा और कुल चौथा विश्व कप जीता था।
      बांग्लादेश और आयरलैंड की टीमों ने विश्व कप में कुछ बड़े उलटफेर करके इसका रोमांच कम कर दिया था। बांग्लादेश ने भारत को हराने के बाद सुपर आठ में दक्षिण अफ्रीका को भी हराया जबकि आयरलैंड ने पाकिस्तान को पराजित करके उसे ग्रुप चरण से ही बाहर करवा दिया था। आयरलैंड से हार के बाद पाकिस्तान के कोच बाब वूल्मर होटल के अपने कमरे में मृत पाये गये जिससे बड़ा विवाद पैदा हो गया था।
      भारत और पाकिस्तान दोनों को विश्व कप का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन दोनों टीमें पहले दौर में ही बाहर हो गयी थी। भारत को ग्रुप ए में रखा गया था लेकिन वह अपने पहले मैच में ही बांग्लादेश से पांच विकेट से हार गया। इसके बाद उसने बरमुडा को 257 रन के विशाल से अंतर से पराजित किया लेकिन श्रीलंका से अंतिम मैच में 69 रन से हारने के कारण राहुल द्रविड़ की अगुवाई वाली भारतीय टीम को शुरू में ही अपना बोरिया बिस्तर बांधकर स्वदेश लौटना पड़ा था। 

दसवां विश्व कप 2011 .. भारत 28 साल बाद फिर बना चैंपियन  

       
       भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश ने 2011 में दसवें विश्व कप की मेजबानी की थी। पहले पाकिस्तान भी विश्व कप की मेजबानी में शामिल था लेकिन अधिकतर देशों ने सुरक्षा कारणों से वहां जाने से इन्कार कर दिया जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने उसे मेजबानी से हटा दिया था। यह पहला अवसर था जबकि बांग्लादेश विश्व कप का सह मेजबान बना था। इस टूर्नामेंट में 14 टीमों ने भाग लिया जिन्हें सात . सात के दो ग्रुप में बांटा गया। इस बार सुपर आठ की बजाय सीधे क्वार्टर फाइनल मैच कराये गये।
         प्रत्येक ग्रुप से चोटी पर रहने वाली चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी। ग्रुप ए से पाकिस्तान, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जबकि ग्रुप बी से दक्षिण अफ्रीका, भारत, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज ने अंतिम आठ में जगह बनायी थी।
      महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने यह विश्व कप यादगार बना दिया था। भारत 1983 के बाद दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने में सफल रहा था और इस तरह से सचिन तेंदुलकर का विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बनने का सपना पूरा हो गया था। भारत ने ग्रुप बी में छह में से चार मैच जीते जबकि इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया मैच टाई छूटा था। भारत लीग चरण में केवल दक्षिण अफ्रीका को नहीं हरा पाया था। भारतीय टीम ने क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया को पांच विकेट से और फिर मोहाली में खेले गये सेमीफाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को दोनों देशों के राजनेताओं की उपस्थिति में 29 रन से पराजित किया। 
      फाइनल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया जिसमें भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हराया था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए छह विकेट पर 274 रन बनाये। भारत ने 48.2 ओवर में चार विकेट पर 277 रन बनाकर जीत दर्ज की थी। धोनी को फाइनल में मैन आफ द मैच जबकि युवराज सिंह को उनके आलराउंड प्रदर्शन के लिये विश्व कप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया था।
                                                                            धर्मेन्द्र मोहन पंत
   

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