Sunday, February 8, 2015

अबकी बार, छक्कों की नहीं होगी भरमार

                                                                 धर्मेन्द्र मोहन पंत 
         किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल दोनों को छह छक्कों की जरूरत है। नहीं . नहीं गलत मत समझिये। मेरे कहने का मतलब है कि जिसकी तरफ से छह छक्के पड़ गये उसका बेड़ा पार। छह छक्के मतलब 36 और मैंने सुना है कि दिल्ली में बहुमत के लिये इसी संख्या की जरूरत है। इसलिए आजकल किरण और केजरीवाल छह छक्कों के लिये दुआ कर रहे होंगे। ये छक्के होते बड़े दिलचस्प हैं। किसी को छक्का कह दो तो वह आप पर छक्का जमाने आ जाएगा। कोई छक्का पड़ने पर दुखी होता है तो कोई छक्का जड़ने पर फूल कर कुप्पा हो जाता है। फटाफट क्रिकेट जिसे कभी पाजामा क्रिकेट कहते थे उसने छक्कों का महत्व बहुत बढ़ा दिया है। अब देखिये विश्व कप नजदीक है और वहां प्रत्येक बल्लेबाज चाहेगा कि वह छक्का जड़े। लेकिन भाईयों और बहनों इस बार छक्का लगाना इतना आसान नहीं होगा। यह भारत, पाकिस्तान या वेस्टइंडीज के छुटभैये मैदान नहीं आस्ट्रेलिया के मोटे ताजे मैदान हैं और फिर आईसीसी भी बल्लेबाजों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। विश्व कप में छक्कों की दास्तान भी बड़ी रोचक रही है। बस आगे पढ़ते रहिये। 
गेल और अफरीदी ... सिक्सर किंग
    कहा जाता है कि आस्ट्रेलिया के एडेन ब्लिजार्ड ने एक बार विक्टोरिया की तरफ से घरेलू मैच में सबसे लंबा छक्का जड़ा था। शाहिद अफरीदी और क्रिस गेल ने भी कुछ अवसरों पर पर गेंद को स्टेडियम के बाहर भेजी है लेकिन ऐसे शाट इक्के दुक्के ही देखने को मिलते हैं। आगामी विश्व कप में भी ऐसे कुछ शाट देखने को मिल जाएं क्योंकि इतना तो तय है कि बल्लेबाजों के लिये वेस्टइंडीज या भारतीय उपमहाद्वीप की तरह आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में छक्के जड़ना आसान नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद इस बार जो तैयारियां कर रही है उससे लग रहा है कि विश्व कप 2015 में छक्के जड़ने के लिये बल्लेबाजों को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। आईसीसी का मानना है कि एकदिवसीय मैचों में संतुलन कुछ हद तक बल्लेबाजों में पक्ष में बन गया है और पलड़ा बराबरी पर लाने की कवायद में वह सीमा रेखा यानि बाउंड्री की दूरी 90 गज तक करने के बारे में सोच रही है। मतलब साफ है कि 2007 में वेस्टइंडीज में खेले गये विश्व कप में एक टूर्नामेंट में सर्वाधिक छक्के का जो रिकार्ड बना था वह कम से कम इस बार तो नहीं टूटने वाला। रिकार्ड के लिये बता दें कि विश्व कप 2007 में 373 छक्के पड़े थे।
          आस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों पर छक्के जड़ना आसान काम नहीं है। वेस्टइंडीज और भारतीय उपमहाद्वीप में सीमा रेखाएं अपेक्षाकृत छोटी होती हैं और इसलिए यहां छक्के भी काफी पड़ते हैं। अब आप रिकार्ड उठाकर ही देख लीजिए। वेस्टइंडीज के सेंट कीट्स में विश्व कप के जो छह मैच खेले गये उनमें 70 छक्के पड़े जबकि भारत के बेंगलूर स्थित चिन्नास्वामी स्टेडियम में सात मैचों में 65 छक्के लगे। इसके विपरीत आस्ट्रेलिया की बात करें तो वहां विश्व कप के दौरान सर्वाधिक छक्के ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर लगे हैं और इनकी संख्या केवल आठ है। गाबा में विश्व कप के अब तक तीन मैच खेले गये हैं। न्यूजीलैंड में आकलैंड शीर्ष पर है जिसमें खेले गये विश्व कप के चार मैचों में 17 छक्के लगे हैं। यह अलग बात है कि इन दोनों देशों में आखिरी बार विश्व कप 1992 में खेला गया था। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उससे पहले 1987 में जब भारत और पाकिस्तान ने विश्व कप की संयुक्त मेजबानी की थी तब 126 छक्के लगे थे लेकिन 1992 में यह संख्या 100 पर भी नहीं पहुंच पायी थी।
धौनी और मैक्सवेल ..छक्के जड़ने में माहिर

    दि विभिन्न विश्व कप की बात करें तो वेस्टइंडीज और भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में खेले गये टूर्नामेंट में बल्लेबाजों ने छक्के जड़ने में परहेज नहीं की लेकिन इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में उनके लिये यह काम आसान नहीं रहा। अब आप ही देख लीजिए। पहले तीन विश्व कप इंग्लैंड में खेले गये। इनमें क्रमश: 28, 28 और 77 छक्के पड़े। भारत और पाकिस्तान में 1987 में खेले गये विश्व कप में कहानी बदल गयी और पहली बार छक्कों की संख्या 100 को पार कर गयी लेकिन 1992 में लगभग 93 छक्के ही लगे। इसके बाद 1996 में जब विश्व कप फिर से भारतीय उपमहाद्वीप में लौटा तो छक्कों की संख्या 150 के करीब\पहुंच गयी। इंग्लैंड और उनके पड़ोसी देशों में 1999 में खेले गये विश्व कप में 153 छक्के लगे। दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और कीनिया की मेजबानी में खेले गये विश्व कप में छक्कों की संख्या रिकार्ड 266 पर पहुंच गयी। यह अलग बात है कि वेस्टइंडीज में यह संख्या 373 पर पहुंचने के कारण रिकार्ड जल्द ही टूट गया। भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की मेजबानी हुए विश्व कप 2011 में कुल 258 छक्के लगे थे।
      यदि देश की बात करें तो विश्व कप में सर्वाधिक छक्के कैरेबियाई देशों में लगे हैं यह हम पहले भी बता चुके हैं। इसके बाद भारत का नंबर आता है जहां केवल 64 मैचों में करीब 343 छक्के पड़े हैं। पाकिस्तान में 26 मैचों में 96 और श्रीलंका में 14 मैचों में 72 छक्के लगे हैं। इसके उलट आस्ट्रेलिया में 25 मैचों में केवल 44 और न्यूजीलैंड में 14 मैचों में करीब 49 छक्के लगे हैं। इंग्लैंड विश्व कप के करीब 276 और दक्षिण अफ्रीका 245 छक्कों का गवाह रहा है।
      आस्ट्रेलिया में भले ही छक्के जड़ना आसान नहीं है लेकिन उसके बल्लेबाज गेंद को सीमा रेखा पार पहुंचाने में माहिर रहे हैं। आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने हर चार साल में होने वाले इस क्रिकेट महाकुंभ में 209 छक्के लगाये हैं। इसके बाद भारत (177), वेस्टइंडीज (176), न्यूजीलैंड (171), दक्षिण अफ्रीका (151), श्रीलंका (132), इंग्लैंड (112), पाकिस्तान (108), जिम्बाब्वे (74) आदि का नंबर आता है।
    यदि बल्लेबाजों की बात करें तो विश्व कप में अब तक सर्वाधिक छक्के रिकी पोंटिंग ने लगाये हैं। आस्ट्रेलिया के इस पूर्व कप्तान के नाम पर 31 छक्के दर्ज हैं। दक्षिण अफ्रीका के हर्शल गिब्स। आपको याद होगा कि उन्होंने विश्व कप 2007 में एक ओवर में छह छक्के लगाने का रिकार्ड बनाया था। गिब्स ने विश्व कप में वैसे कुल 28 छक्के जमाये हैं। भारतीय स्टार सचिन तेंदुलकर और श्रीलंका के सनथ जयसूर्या दोनों ने समान 27 . 27 छक्के लगाये हैं। वनडे में एक मैच में सर्वाधिक छक्के का रिकार्ड 16 है लेकिन विश्व कप में यह रिकार्ड आठ छक्कों का है। यह तीन खिलाड़ियों पोंटिंग, पाकिस्तान के इमरान नजीर और आस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट के नाम पर दर्ज है।
     तो फिर बताईये कैसे लगी विश्व कप में छक्कों की कहानी। नीचे टिप्पणी करके फीडबैक जरूर दीजिए। 

No comments:

Post a Comment