Saturday, March 14, 2015

अब विशाल नहीं कहलाता 300

                                                            धर्मेन्द्र पंत 
       ईसीसी ने विश्व कप से पहले कहा था कि वह बल्ले और गेंद के बीच संतुलन पैदा करना चाहती है। उसने सीमा रेखा बढ़ाने का तर्क दिया ताकि आम शाट छक्के में तब्दील नहीं हो पाये। फिर भी रन बन रहे हैं और छक्के लग रहे हैं। अब तक जिन 39 मैचों में खेल संभव हो पाया उनमें से 25 में 300 से अधिक स्कोर बन गया है। तीन बार तो स्कोर 400 रन के पार भी पहुंच गया। रन आगे भी बनते रहेंगे क्योंकि जब नियम बल्लेबाजों के पक्ष में रहेंगे तब तक संतुलन नहीं साधा जा सकता है। पांच क्षेत्ररक्षकों को हर समय 30 गज के घेरे के अंदर रखने से नियम के चलते गेंदबाजों के साथ न्याय करने की बात नहीं की जा सकती है। इसके अलावा बल्ले इस तरह से तैयार किये जा रहे हैं उनके 'स्वीट स्पाट' की शक्ति चार गुनी बढ़ गयी है। ट्वेंटी . 20 क्रिकेट के आगमन से बल्लेबाजों के रवैये में भी बदलाव हुआ। वे अधिक आक्रामक बन गये। तिस पर नियमों और बल्ले ने भी उन्हें पूरी मदद पहुंचायी।
       मैं पिछले 23 साल से खेल पत्रकारिता कर रहा हूं। एक जमाना था जब हम एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 के आसपास के स्कोर को चुनौतीपूर्ण लिखते थे। 250 या 260 रन का स्कोर बड़ा हो जाता था और 300 रन, उसके लिये तो 'रनों का एवरेस्ट' खड़ा कर दिया लिखने में भी हमें गुरेज नहीं थी। लेकिन अब 400 रन के स्कोर के लिये भी इस शब्द का उपयोग करने में हिचकिचाहट होती है। आखिर विरोधी टीम भी नियमों का सहारा लेकर यहां तक पहुंच सकती है। पिछले कुछ वर्षों में यह बदलाव आया है क्योंकि 2002 में नेटवेस्ट सीरीज में भारत ने जब 326 रन का लक्ष्य हासिल किया था तो हमने यही लिखा था कि 'भारत ने इंग्लैंड के रन एवरेस्ट को बौना कर दिया।'

कभी एवरेस्ट कहलाता था 300 का स्कोर 

      ब विश्व कप में ही देख लीजिए। पहले तीन विश्व कप में प्रत्येक पारी 60 ओवर की होती थी लेकिन तब भी 250 या 300 रन तक पहुंचना मुश्किल होता था। पहले तीनों विश्व कप इंग्लैंड में खेले गये। इनमें से पहले विश्व कप में चार बार 300 रन से अधिक का स्कोर बना। इंग्लैंड ने तब भारत के खिलाफ लार्ड्स में चार विकेट पर 334 रन बनाये थे और उसका यह रिकार्ड 1983 में पाकिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ स्वान्सी में पांच विकेट पर 338 रन बनाकर तोड़ा था। इससे पहले 1979 विश्व कप में तो कोई भी टीम 300 रन के स्कोर तक नहीं पहुंच पायी थी। उस टूर्नामेंट का उच्चतम स्कोर छह विकेट पर 293 रन था जो वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान के खिलाफ ओवल में बनाया था। आलम यह था कि 250 या उससे अधिक रन के केवल चार स्कोर बने थे और 19 बार टीमों ने 200 से भी कम का स्कोर बनाया था। इसके चार साल बाद 1983 में हालांकि 15 बार टीमों ने 250 या इससे अधिक रन बनाये। चार बार 300 से अधिक का स्कोर बना।
     पहली बार विश्व कप 1987 में इंग्लैंड से बाहर निकला। अब ओवरों की संख्या घटकर 50 रह गयी थी लेकिन बल्लेबाज तेजी से रन बनाना सीख रहे थे। भारत और पाकिस्तान में खेले गये विश्व कप 1987 में केवल एक बार 300 से अधिक का स्कोर बना। वेस्टइंडीज ने श्रीलंका के खिलाफ कराची में चार विकेट पर 360 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया था। वैसे इस टूर्नामेंट में 250 रन से अधिक 16 स्कोर बने थे। 
        आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने इससे पहले 1992 में विश्व कप की मेजबानी की थी लेकिन तब भी रनों की बारिश नहीं हुई थी। केवल दस पारियों में 250 रन से अधिक का स्कोर बना था। सिर्फ दो टीमें 300 रन के 'पहाड़' को पार कर पायी थी और दिलचस्प तथ्य ये है कि ये दोनों स्कोर एक ही मैच में बने थे। जिम्बाब्वे ने न्यू प्लाईमाउथ में श्रीलंका के खिलाफ चार विकेट पर 312 रन बनाये। यह एंडी फ्लावर का पहला वनडे थे जिसमें उन्होंने 115 रन बनाये और एंडी वालेर ने 45 गेंदों पर 83 रन ठोके थे। श्रीलंका ने हालांकि सात विकेट पर 313 रन बनाकर जिम्बाब्वे के रनों के एवरेस्ट को छोटा कर दिया था। भारत की बात करें तो तब मोहम्मद अजहरूद्दीन की अगुवाई वाली टीम का सर्वोच्च स्कोर था 234 रन। उसने आस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में 47 ओवरों में यह स्कोर बनाया था। 
        भारतीय उपमहाद्वीप में 1996 में जब दूसरी बार विश्व कप का आयोजन हुआ तो तब रिकार्ड पांच बार 300 से अधिक रन का स्कोर बना था। श्रीलंका ने केन्या के खिलाफ कैंडी में पांच विकेट पर 398 रन का रिकार्ड स्कोर खड़ा कर दिया था। कुल 18 पारियों में स्कोर 250 रन के पार पहुंचा। दक्षिण अफ्रीका ने दो बार 300 रन की संख्या को पार किया लेकिन भारत के लिये यह तब भी दूर की कौड़ी बनी रही। उसका उच्चतम स्कोर आठ विकेट पर 287 रन था जो उसने पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलूर में क्वार्टर फाइनल में बनाया था। भारत 1999 में पहली बार विश्व कप में 300 रन की संख्या को पार करने में सफल रहा था। इंग्लैंड में खेले गये टूर्नामेंट में उसने श्रीलंका के खिलाफ टांटन में छह विकेट पर 373 रन बनाये और फिर केन्या के खिलाफ ब्रिस्टल में दो विकेट पर 329 रन ठोके। भारत के ​अलावा केवल आस्ट्रेलिया एक बार (303/4 बनाम जिम्बाब्वे बर्मिंघम) 300 रन की संख्या छू पाया था। वैसे इस टूर्नामेंट कुल 19 स्कोर 250 रन से अधिक के थे।

नयी सदी में छोटा बन गया 300

           स्ट्रेलिया ने 2003 में अफ्रीकी महाद्वीप में खेले गये विश्व कप में भारत के खिलाफ जोहानिसबर्ग में खेले गये फाइनल में दो विकेट पर 359 रन बना दिये थे। भारत ​लगातार आठ मैच जीतकर फाइनल में पहुंचा था लेकिन रनों के इस पहाड़ के सामने उसकी हार पहले से ही तय मानी जाने लगी थी। वैसे विश्व कप 2003 में 300 रन से अधिक स्कोर का नया रिकार्ड बना था। कुल नौ बार 300 या इससे अधिक के स्कोर बने। यही नहीं 26 बार टीमों ने 250 रन की संख्या को छुआ। भारत का उच्चतम स्कोर दो विकेट पर 311 रन था जो उसने नामीबिया के खिलाफ पीटरमैरित्जबर्ग में बनाया था। इसके चार साल बाद वेस्टइंडीज में खेले गये विश्व कप में बल्लेबाजों ने बाउंड्री छोटी होने का पूरा फायदा उठाया और 16 बार 300 रन का आंकड़ा स्पर्श किया गया। भारत भले ही तब पहले दौर में बाहर हो गया था लेकिन उसने बरमुडा को क्रिकेट का ककहरा सिखाकर पांच विकेट पर 413 रन बना दिये थे। चैंपियन आस्ट्रेलिया ने पांच बार 300 से अधिक का स्कोर बनाया। उप विजेता श्रीलंका तीन, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका दो . दो जबकि भारत, इंगलैंड, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज एक एक बार 300 रन तक पहुंचे थे। नियम बल्लेबाजों के अनुकूल बनने लगे थे और सभी टीमों ने इसका फायदा उठाया। कुल 25 बार टीमें 250 रन या इससे अधिक का स्कोर खड़ा करने में सफल रही थी।  
           रनों का अंबार लगना शुरू हो गया था और 2011 विश्व कप में भारतीय उपमहाद्वीप की सपाट पिचों पर 17 बार 300 या इससे अधिक का स्कोर का नया रिकार्ड बन गया। अब समय आ गया था जबकि 250 और 300 के बीच के लक्ष्य को बड़ा कहना इस शब्द के प्रति अन्याय लगने लगा था। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 37 बार टीमों ने 250 रन या इससे अधिक रन बनाये थे। भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में चार विकेट पर 370 रन बनाये। इस मैच में तो वह जीत गया था लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलूर में 338 रन का स्कोर भी बड़ा नहीं बन पाया। इंग्लैंड ने इसकी बराबरी करके मैच टाई करवा दिया था। 
    और अब विश्व कप 2015 में वेस्टइंडीज 300 रन से अधिक का स्कोर बनाकर अपनी जीत मानकर चलने लग जाता है लेकिन आयरलैंड लक्ष्य हासिल कर लेता है। यह सभी टीमों के लिये साफ संकेत था कि वे 300 रन के स्कोर को बड़ा नहीं माने। अब 300 रन को मैं विशाल स्कोर नहीं लिखता और अगर 39 मैचों में 40 बार टीमें 250 रन या इससे अधिक स्कोर बना लेती हैं तो 250 से अधिक और 300 रन से कम के स्कोर को चुनौतीपूर्ण लिखने में भी झिझक लगती है। 
                     (सभी आंकड़े 14 मार्च 2015 तक के हैं।)
                                                                                     


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