Wednesday, March 11, 2015

संगा भाई अभी अलविदा न कहना

     
    अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों के अपने आंकड़ों को सहेजने के लिये थोड़ा मशक्कत तो लाजिमी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसका आनंद कुछ और बढ़ गया। आखिर जब आप क्रिकेट के किसी असली विद्यार्थी का अच्छे प्रदर्शन के लिये बराबर जिक्र करते हैं तो तब आनंद की अनुभूति होना स्वाभाविक है। कुमार संगकारा मुझे ही नहीं मेरे जैसे लाखों क्रिकेट प्रेमियों को बराबर यह अनुभूति करा रहे हैं और अब तो वह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार चार मैचों में शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज भी बन गये हैं। किसी एक विश्व कप में भी पहली बार किसी बल्लेबाज ने चार शतक ठोके। आंकड़ों की बात आगे करेंगे। 
         कुमार संगकारा जब इस शख्स का नाम जेहन में आता है तो विकेटों के आगे और विकेटों के पीछे खड़े एक ऐसे शख्स की तस्वीर सामने आ जाती है जो सही मायनों में क्रिकेट के लिये बना है। जो पिछले डेढ़ दशक से विश्व क्रिकेट के चोटी के बल्लेबाजों में शामिल रहा है। जो हौले से मुस्काराता है लेकिन उससे अधिक अपने कवर ड्राइव और पुल से लोगों को दीवाना बनाता है। जो बिना किसी लाग लपेट के रन बनाता है, क्योंकि टीम उसके लिये सर्वोपरि है। एक ऐसा शख्स जिसके नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 27 हजार से अधिक रन दर्ज हैं लेकिन उसे विश्व क्रिकेट में वह दर्जा नहीं मिला जिसका वास्तव में वह हकदार है। अंग्रेजी में ऐसे लोगों के लिये एक शब्द है, ''अनसंग हीरो''।  संगकारा विश्व क्रिकेट के ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें इस खेल की दो महत्वपूर्ण विधाओं बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग में माहिर होने के बावजूद कभी सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा या रिकी पोंटिंग जैसी प्रसिद्धि नहीं मिली। क्यों? इसका जवाब दुनिया के लाखों करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को देना चाहिए।
          जब संगकारा के लिये 'अनसंग हीरो' की बात आती है तो जेहन में जाक कैलिस का नाम भी आ जाता है। अफसोस की दोनों आलराउंडर रहे हैं। एक विकेट के आगे और पीछे अपने कौशल का कमाल दिखाता है तो दूसरा बल्लेबाजी में टीम का भार उठाने के बाद गेंदबाजी में भी अपने साथियों की मदद करता है। जब दुनिया के चोटी के बल्लेबाजों के आंकड़ों पर नजर पड़ती है तो उनका नाम भी उनमें शामिल होता है। फिर भी इन दोनों महानायकों को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे वास्तविक हकदार थे। यह खेल की नियति है। इसे स्वीकार भी करना होगा। मेरे लिये तो हमेशा यह सवाल अनुत्तरित ही रहेगा कि विश्व क्रिकेट में लगभग एक साथ खेलने वाले सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा, रिकी पोंटिंग, जाक कैलिस, राहुल द्रविड़, कुमार संगकारा में पहला, दूसरा या तीसरा नंबर किसे दिया जाए? असल में इस तरह के नंबर इनके लिये नहीं बने हैं। इनके लिये तो वे नंबर बने हैं जिन्हें हम क्रिकेट की भाषा में रन कहते हैं। 
       र जब रन के इन नंबरों यानि आंकड़ों की बात चल पड़ी है तो आपको बता दूं कि पिछले पांच साल यानि एक मार्च 2010 से लेकर अब तक क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में मिलकर जिस बल्लेबाज ने सर्वाधिक रन बनाये हैं उसका नाम कुमार संगकारा है। श्रीलंका के बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने इन पांच वर्षों में तीनों प्रारूपों में 214 मैच खेले और उनमें 53.99 की औसत से 11501 रन बनाये हैं। इनमें 32 शतक भी शामिल हैं। उनके बाद दूसरे नंबर पर भारत के विराट कोहली हैं जिन्होंने संगकारा से लगभग ढाई हजार रन कम बनाये हैं। बात लंबी अवधि के मैचों की हो या सीमित ओवरों की सभी में संगकारा अव्वल हैं। आप खुद ही देख लीजिए। टेस्ट क्रिकेट में संगकारा ने 42 मैचों में 65.54 की औसत से 4654 रन बनाये। इस बीच उन्होंने 17 शतक भी लगाये। इंग्लैंड के एलिस्टेयर कुक (4627) उनसे ज्यादा दूर नहीं हैं लेकिन कुक ने संगकारा की तुलना में 22 पारियां अधिक खेली हैं। वनडे में संगकारा ने पिछले पांच वर्षों में 136 मैचों में 6037 रन बनाये हैं जिसमें 15 शतक शामिल हैं। उनका औसत 52.49 रहा है। कोहली 5648 रन के साथ दूसरे स्थान पर हैं लेकिन संगकारा ने इस भारतीय बल्लेबाज की तुलना में केवल दो पारियां अधिक खेली हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि संगकारा अब 37 साल के हो गये हैं और बायें हाथ के इस बल्लेबाज के अनुसार अब ''शरीर के जोड़ चरमराने लगे हैं।''
           क्या आपको वास्तव में ऐसा लगता है? जब संगकारा बड़ी कुशलता से ड्राइव या फ्लिक करते हैं या फिर डाइव लगाकर कैच लेते हैं या फिर तेजी से रन चुराते हैं तो कहीं ऐसा नहीं लगता है। बहरहाल वह अपने शरीर के बारे में बेहतर जानते हैं। लेकिन एक सच्चा क्रिकेट प्रेमी होने के कारण मुझे यह खबर बार बार कचोट रही है कि संगकारा विश्व कप के बाद वनडे क्रिकेट नहीं खेलेंगे और अगस्त के बाद टेस्ट ​क्रिकेट को भी अलविदा कह देंगे। अभी तो लग रहा है कि संगकारा दो साल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल सकते हैं। संन्यास लेना किसी खिलाड़ी का एकाधिकार होता है लेकिन एक क्रिकेट प्रेमी होने के नाते मैं इतना आग्रह करने का अधिकार तो रखता हूं कि 'संगा भाई अभी अलविदा न कहना।'  
                                                                                         धर्मेन्द्र पंत 


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