Wednesday, March 4, 2015

अब तो सुधर जाओ विराट

      मेरे सामने विश्व क्रिकेट के सफल कप्तानों की सूची पड़ी है। इनमें वे कप्तान शामिल हैं जिन्हें या तो मैंने खेलते हुए देखा या फिर तब वे क्रिकेट खेल रहे थे जबसे मैंने इस खेल को समझना शुरू किया था। क्लाइव लायड, माइक ब्रेयरली, विव रिचर्ड्स, सुनील गावस्कर, एलन बोर्डर, इमरान खान, अर्जुन रणतुंगा, मार्क टेलर, स्टीव वॉ, हैन्सी क्रोन्ये, स्टीफन फ्लेमिंग, नासिर हुसैन, सौरव गांगुली, ग्रीम स्मिथ, रिकी पोंटिंग, महेंद्र सिंह धोनी ....। इन सभी ने अपनी कप्तानी की किसी न किसी तरह से सकारात्मक छाप छोड़ी। इनमें से कोई भी ऐसा नहीं था जिसका मैदान या उससे बाहर व्यवहार खराब रहा हो और जिसके कारण उसे लताड़ पड़ी हो या माफी मांगनी पड़ी हो। इनमें से अधिकतर आक्रामक कप्तान थे लेकिन उनकी यह आक्रामकता सकारात्मक थी, जो उनके आम जीवन के व्यवहार को भी प्रभावित नहीं करती थी।
     यह सारी भूमिका मुझे विराट कोहली के संदर्भ में बांधनी पड़ी जो अपने खराब व्यवहार के कारण चर्चा में हैं। इस बार वह एक पत्रकार को गाली देने को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने मां से लेकर बहन तक सभी गालियां अपने मुंह से निकाली। कोहली को भारत का भावी कप्तान माना जाता है लेकिन भले ही वह एक बल्लेबाज के रूप में परिपक्व हो गये हों लेकिन उनका व्यवहार दिखाता है कि आम जीवन में वह अब भी 'बिगड़ैल लड़का' हैं। भारत में यदि क्रिकेट धर्म है और क्रिकेटरों को ऊंचा दर्जा दे दिया जाता है तो उनसे अच्छे व्यवहार की उम्मीद भी की जाती है, लेकिन अफसोस है कि एक शांतचित कोच के संरक्षण में क्रिकेट का ककहरा सीखकर शिखर पर पहुंचने वाला कोहली इस मानदंड पर खरा नहीं उतर रहा है।
      कोहली को टेस्ट कप्तानी सौंप दी गयी ​है कि और हो सकता है कि जल्द ही उन्हें तीनों प्रारूपों में कप्तान बना दिया जाए लेकिन इस देश का कोई भी क्रिकेट प्रेमी नहीं चाहेगा कि उनका कप्तान नकारात्मक आक्रामकता अपनायें। फिलहाल कोहली में सकारात्मक के साथ नकारात्मक आक्रामकता भी भरी हुई है और यदि वह अपने अंदर इसे बनाये रखते हैं तो भविष्य में इससे उन्हें ही परेशानी हो सकती है। यदि एक कप्तान किसी पत्रकार के लिये सार्वजनिक रूप से मां बहन की गाली निकाल सकता है तो उससे ड्रेसिंग रूम में अच्छे व्यवहार की उम्मीद कैसे की जा सकती है। दुख इस बात का है कि सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ियों के साथ खेलने के बावजूद भी कोहली उनसे महानता के गुण नहीं सीख पाये।  वह अपने कप्तान महेंद्र सिंह धौनी से भी कुछ नहीं सीख रहे हैं जिन्हें 'कैप्टेन कूल' कहा जाता है। मुझे नहीं लगता कि कोहली की इस हरकत से उनकी मां या कोच में से किसी को खुशी हुई होगी। वे भी दुखी होंगे। आखिर कोई मां बाप नहीं चाहता कि उनका बेटा अपनी जुबान से अपशब्द निकाले। देश के लिये न सही अपने प्रशंसकों, अपने परिजनों और कोच के लिये तो कोहली को सुधरना चाहिए। आखिर जब वह क्रिकेट में शुरू में रन बना रहे थे तब उनसे जुड़े लोग ही पत्रकारों से अखबार के एक कोने में कोहली को भी जगह देने का आग्रह करते थे।
     किसी भी क्रिकेटर को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसको आगे बढ़ाने में मीडिया की भूमिका भी अहम होती है। कोहली लगता है कि सफलता के मद में चूर होते जा रहे हैं। उन्हें खुद के लिये, अपने प्रशंसकों के लिये, देश के लिये और क्रिकेट के लिये सुधरना होगा। 

3 comments:

  1. दोस्तों मुझे लगता है की विराट कोहली ने जो किया वो गलत था पर पत्रकारों को भी समझना चाहिए की इस समय हमें उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए न की उन्हें होपलेस करना चाहिए,

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  2. दोस्तों मुझे लगता है की विराट कोहली ने जो किया वो गलत था पर पत्रकारों को भी समझना चाहिए की इस समय हमें उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए न की उन्हें होपलेस करना चाहिए,

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  3. अनिल आपको ध्यान होगा कि डेविड वार्नर ने आस्ट्रेलिया के दो पत्रकारों को लेकर कुछ ट्वीट कर दिये थे।​ क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने इसके लिये उन्हें सजा दी और वार्नर को माफी मांगनी पड़ी। हर भारतीय पत्रकार टीम की हौसलाअफजाई करता है। मीडिया खिलाड़ियों को हतोत्साहित नहीं सचेत करता है। लेकिन खिलाड़ी यदि खुद को भगवान समझने लगें तो सचाई भी सामने आनी चाहिए। कोहली को मैंने जितना जाना और समझा है वह दुनिया की परवाह नहीं करता। इससे उनके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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