Monday, March 9, 2015

भारत . बांग्लादेश में हो सकता है क्वार्टर फाइनल

   
जीत का जश्न। बांग्लादेश इसका हकदार है। फोटो सौजन्य : बीसीबी 
 इंग्लैंड विश्व कप के पहले दौर से बाहर हो गया। तीन बार के उपविजेता का इस तरह दर्दनाक पराजयों का बोझ लिये विदा होना अच्छा नहीं लगा। लेकिन साथ ही खुशी भी हुई। बांग्लादेश ने पहली बार अपना दम दिखाया है। अब तक उसे पुछल्ली टीम ही कहा जाता था जो यदाकदा ही जीत दर्ज कर पाती थी। उसकी हार पहले ही तय मान ली जाती थी और इसलिए जब आईसीसी ने क्वार्टर फाइनल के लिये कार्यक्रम तय किया तो उसने मेलबर्न में इंग्लैंड का मैच रखा था। अब वहां बांग्लादेश खेलेगा। यह दूसरा क्वार्टर फाइनल 19 मार्च को होगा और पूरी संभावना है कि यह मैच भारत और बांग्लादेश के बीच खेला जाएगा। 
      बांग्लादेश को ग्रुप ए में अपना आखिरी लीग मैच न्यूजीलैंड से खेलना है जो अब तक अजेय है और जिसने अधिकतर एकतरफा जीत दर्ज की। बांग्लादेश उलटफेर का माद्दा रखता है लेकिन फिर इस मैच में जीत का प्रबल दावेदार न्यूजीलैंड ही रहेगा। बांग्लादेश अभी ग्रुप ए में तीसरे स्थान पर है लेकिन चौथे स्थान पर काबिज श्रीलंका को अपना अंतिम मैच में स्काटलैंड से खेलना है। उसमें उसकी जीत भी तय मानी जा रही है। आस्ट्रेलिया के भी सात अंक हैं लेकिन उसे भी आखिरी मैच में स्काटलैंड से भिड़ना है जिसने अब तक एक भी मैच नहीं जीता है। यदि न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका अपने अपने आखिरी मैच जीत जाते हैं तो ग्रुप ए में वे पहले तीन स्थान पर काबिज हो जाएंगे। बांग्लादेश चौथे स्थान पर खिसक जाएगा। 
     यह तय हो चुका है कि बांग्लादेश को मेलबर्न में अपना क्वार्टर फाइनल मैच खेलना है। यदि वह ग्रुप ए से चौथे स्थान पर रहता तो उसका सामना ग्रुप बी से पहले स्थान पर रहने वाली टीम से होगा। ग्रुप बी से भारत का पहला स्थान तय है। ऐसे में ये दोनों पड़ोसी देश आमने सामने होंगे। भारत इस मैच में 2007 जैसी गलती से बचना चाहेगा और जिस तरह की फार्म में अभी वह है उसके लिये जीत दर्ज करना आसान होगा। अभी के हिसाब से श्रीलंका का सामना दक्षिण अफ्रीका से हो सकता है। 
     ब जरा इंग्लैंड की बात कर लें। उसकी हार के लिये उसके बोर्ड यानि ईसीबी के कुछ अजीबोगरीब फैसले भी जिम्मेदार रहे। वह आखिर तक तय नहीं कर पाया कि टीम का कप्तान कौन होगा। एलिस्टेयर कुक को आनन फानन में हटाकर इयोन मोर्गन को कप्तानी सौंपने का फैसला बुद्धिमतापूर्ण नहीं था। बेहतर होता कि कुक को टीम में भी बनाये रखा जाता। मोर्गन कप्तानी का दबाव नहीं झेल पा रहे हैं और उनके प्रदर्शन में साफ तौर पर इसकी छाप दिख रही है। उनकी कप्तानी में अपरिपक्वता भी साफ नजर आयी। 
        दूसरी बात इंग्लैंड की टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं था जिसका नाम ही विरोधी गेंदबाजों के दिलो दिमाग में खौफ पैदा कर दे। उसके पास फिलहाल केविन पीटरसन ही ऐसा खिलाड़ी था लेकिन ईसीबी और पीटरसन दोनों ने अपनी टीम, क्रिकेट और विश्व कप के बजाय अपने अहं को अधिक तवज्जो दी और नतीजा सामने है। पीटरसन अब भी ऐसा खिलाड़ी है जो अकेले दम पर मैच का पासा पलट सकता है। इंग्लैंड की वर्तमान टीम में कोई भी अन्य खिलाड़ी ऐसा नजर नहीं आता है। उसे अपनी गेंदबाजी पर भरोसा था लेकिन विश्व कप में भी यह साबित हो गया कि जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड जैसे गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट में कहर बरपा सकते हैं लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट अलग तरह का खेल है और यहां उनकी तूती नहीं बोलती। 
    ​बहरहाल अभी बांग्लादेश के लिये ताली बजाइये। इस बार वह किसी अगर मगर के बिना क्वार्टर फाइनल में पहुंचा है। विश्व कप में पहली बार एशिया की चार टीमों को हम क्वार्टर फाइनल में देख सकते हैं। यह एशियाई क्रिकेट के लिये भी खुशी की बात है।  यह उसके लिये बड़ी जीत है। इंग्लैंड को तो पिछले कुछ विश्व कप से शुरूआती दौर में बाहर आने की आदत पड़ चुकी है। उम्मीद है कि इस बार वह घर जाकर 2019 के बारे में विचार करेगा। आखिर तब उसे अपनी पिचों पर विश्व कप खेलना है और उसके दर्शक नहीं चाहेंगे कि उनकी टीम उनके सामने बुजदिलों जैसा प्रदर्शन करे।

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